नयी दिल्ली । अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर ब्रिटिश उच्चायोग 18 से 23 साल की लड़कियों के लिए एक दिन का ब्रिटिश उच्चायुक्त बनने की प्रतिस्पर्धा आयोजित करता है।
इसकी विजेता को बकायदा उच्चायोग में पूरे दिन हाई कमिश्नर की कुर्सी पर बिठाने से लेकर उसके काम को अंजाम देने का मौका दिया जाता है।

भारत में ब्रिटेन के उच्चायुक्त की नौकरी कितनी व्यस्तता भरी है इस बात का अनुभव गोरखपुर की रहने वाली 22 साल की एक युवती ने तब किया जब उसने एक दिन के लिये इस पद की जिम्मेदारी संभाली।
आयेशा खान को राजनयिक की जिम्मेदारी संभालने का मौका तब मिला जब उसने ‘एक दिन का उच्चायुक्त’ प्रतियोगिता जीती। इस प्रतियोगिता का आयोजन 11 अक्टूबर को ‘अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस’ को किया गया था जिसमें 18-23 साल की भारतीय महिलाएं हिस्सा ले सकती थीं।
ब्रिटिश उच्चायोग के बयान में कहा गया कि दूत के रूप उन्होंने चार अक्टूबर को पूरा दिन ब्रिटेन के सबसे बड़े विदेशी नेटवर्क का कामकाज देखा, अलग-अलग सत्रों की अध्यक्षता की, गणमान्य लोगों के साथ बैठक की और परियोजनाओं के लाभार्थियों के साथ भी चर्चा की।
‘एक दिन का उच्चायुक्त’ प्रतियोगिता का यह तीसरा साल था। इसमें भाग लेने वाले को एक मिनट का वीडियो रिकॉर्ड करना होता है कि लैंगिक समानता क्यों जरूरी है और लैंगिक समानता के लिये अपने सबसे बड़े प्रेरणास्रोत के तौर पर वे किसे देखती हैं?
बयान में खान के हवाले से कहा गया, “मेरा दिन काफी व्यस्तता भरा था और मुझे काफी कुछ सीखने को मिला…। मेरा मानना है कि शिक्षा एक शक्तिशाली माध्यम है जो लैंगिक समानता हासिल करने में मदद कर सकता है।
”इस जिम्मेदारी को निभाने के दौरान आयेशा ने पीतमपुरा स्थित एपीजे स्कूल का दौरा किया और इस दौरान वह दिल्ली में असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं से मिली।(यह आर्टिकल एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड हुआ है।